शिमला, 20 जुलाई (हि.ला.)।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र में एक अनोखी शादी ने सभी का ध्यान खींचा है। थिंडो खानदान के दो सगे भाइयों ने कुन्हट गांव की एक ही युवती से पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत विवाह रचाया।
हट्टी समाज में इसे 'उजला पक्ष' की परंपरा कहा जाता है, जो अब लगभग विलुप्त हो चुकी थी। इस विवाह से बहुपतिप्रथा की चर्चा फिर से तेज हो गई है। यह शादी 12 से 14 जुलाई तक पूरे गांव की मौजूदगी में धूमधाम से हुई। खास बात यह रही कि दोनों दूल्हे पढ़े-लिखे हैं - एक भाई हिमाचल जल शक्ति विभाग में कार्यरत है और दूसरा विदेश में नौकरी करता है। गांववालों ने इस विवाह को पूरी सामाजिक स्वीकृति के साथ मनाया, जिससे यह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया।
अब इस विवाह को मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइटों पर प्रमुखता से दिखाया जा रहा है। हालांकि यह ट्रांस-गिरि क्षेत्र के हट्टी समुदाय में प्रचलित बहुपतिप्रथा की सदियों पुरानी परंपरा को दर्शाता है। उधर, महिला अधिकारों की वकालत करने वाले संगठनों ने इस विवाह की निंदा की है।
शिलाई गांव के दो भाइयों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी ने कुछ दिन पहले कुन्हाट गांव की सुनीता चौहान के साथ आपसी सहमति से सामुदायिक परंपरा के तहत विवाह किया और विवाह की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी सार्वजनिक कीं।
दोनों लड़के और लड़की तीनों ही शिक्षित हैं। जहां एक लड़का विदेश में नौकरी करता है वहीं दूसरा लड़का सरकारी नौकरी में है,
उन भाइयों ने कहा, "हमारे (हट्टी) समुदाय में दो भाइयों द्वारा एक लड़की से विवाह करना एक परंपरा है और यह विवाह समुदाय की आपसी सहमति और आशीर्वाद से संपन्न हुआ।"
बहुपतिप्रथा—जिसे स्थानीय रूप से जोड़ीदारण या द्रौपदी प्रथा के नाम से जाना जाता है—हट्टी समुदाय में लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन इस मामले में विवाह का जश्न खुलेआम मनाया गया।
बहुविवाह—दो या दो से अधिक भाइयों द्वारा एक ही लड़की से विवाह की परंपरा—हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के कई हिस्सों में विवाह का एक स्वीकार्य रूप रही है।
हिमाचल में यह परंपरा कुछ क्षेत्रों में लैंगिक अंतर और बहुत कम भूमि जोत के कारण पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को रोकने की इच्छा से जुड़ी है।
हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार ने बहुत पहले अपने पीएचडी शोध प्रबंध के आधार पर 'हिमालयी क्षेत्र में बहुविवाह और बहुपतिप्रथा' नामक एक पुस्तक लिखी थी।
हालांकि, बदलते समय के साथ यह परंपरा बदल रही है क्योंकि शिक्षित पीढ़ी इस प्रकार के विवाह से परहेज कर रही है।
महिला संगठन अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (AIDWA) ने इस विवाह की कड़ी निंदा की है। एआईडीडब्ल्यूए की अखिल भारतीय महासचिव मरियम धावले ने कहा, "हमारा संगठन महिलाओं के शोषण के ऐसे कृत्यों की कड़ी निंदा करता है; जो महिलाओं के मौलिक अधिकारों के विरुद्ध हैं।"