हर बार पेट दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है आईबीएस

हर बार पेट दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है आईबीएस

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नई दिल्ली 17 जुलाई (आईएएनएस)। हमारी सेहत की जड़ हमारे पेट में होती है। जब पाचन सही होता है तो शरीर ऊर्जा से भरपूर रहता है मन शांत रहता है और रोगों से लड़ने की ताकत बनी रहती है। लेकिन जब पेट बार-बार खराब रहने लगे कभी दस्त तो कभी कब्ज की समस्या हो तो यह सामान्य नहीं बल्कि किसी गहरी परेशानी का संकेत हो सकता है। ऐसी ही एक समस्या है इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आईबीएस)। यह एक लंबी चलने वाली पाचन संबंधी स्थिति है जो व्यक्ति की दैनिक जीवनशैली मानसिक स्थिति और आंतरिक संतुलन को गहराई से प्रभावित करती है।

आईबीएस में सबसे आम लक्षणों में पेट में मरोड़ या दर्द गैस मल त्याग में बदलाव (कभी दस्त कभी कब्ज) और पेट फूलना शामिल हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि वे मल पूरी तरह नहीं निकाल पाए और कभी-कभी मल में सफेद चिपचिपा पदार्थ भी दिखाई देता है। खासतौर पर महिलाओं में मासिक धर्म के समय ये लक्षण अधिक बढ़ सकते हैं। हालांकि यह स्थिति कष्टदायक होती है लेकिन यह आंतों को कोई स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाती।

आईबीएस की पहचान मरीज के लक्षणों के आधार पर होती है खासकर जब ये लक्षण लगातार बने रहें और बार-बार आते रहते हों। यह एक क्रॉनिक स्थिति होती है जिसमें लक्षण कभी दिखते हैं कभी कम हो जाते हैं।

अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) के अनुसार अभी तक आईबीएस का एक निश्चित कारण सामने नहीं आया है लेकिन यह माना जाता है कि यह समस्या ब्रेन-गट इंटरैक्शन की गड़बड़ी से शुरू होती है। इसमें पाचन तंत्र कभी तेज हो जाता है और कभी बहुत धीमा जिससे गैस मरोड़ और मल त्याग जैसी परेशानी होने लगती है।

बता दें कि ब्रेन-गट इंटरैक्शन पेट और दिमाग के बीच के कनेक्शन को कहते हैं।

आईबीएस के कारणों में मानसिक तनाव बचपन में हुआ कोई शारीरिक या मानसिक आघात चिंता अवसाद आंतों का बैक्टीरियल संक्रमण और कुछ चीजों से एलर्जी शामिल हो सकते हैं। कुछ लोगों में आनुवंशिक कारणों से भी आईबीएस होने की संभावना होती है।

वहीं आयुर्वेद इस समस्या को केवल पेट से जुड़ी नहीं बल्कि पूरे शरीर और मन के संतुलन से जुड़ी हुई मानता है।

आयुर्वेद के अनुसार हमारे आंत और मस्तिष्क के बीच गहरा संबंध होता है। जब मन अशांत होता है तो यह पाचन अग्नि को प्रभावित करता है। ऐसे समय में हमारा पाचन ठीक से काम नहीं करता। शरीर में रज और तम बढ़ जाते हैं। ये हमारे शरीर को भारी और सुस्त बना देते हैं। इसका नतीजा होता है कि हमारे पेट में खाना ठीक से नहीं पचता। वहीं गलत खानपान से पाचन और भी खराब हो जाता है जिससे कई बीमारियां हो सकती हैं।

हमारे पेट में मौजूद बैक्टीरिया का असंतुलन होना भी आईबीएस के पीछे की वजह हो सकता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में गट माइक्रोबायोम और आयुर्वेद में कृमि या असंतुलित दोष कहा जाता है। बैक्टीरिया के असंतुलन होने से गैस पेट दर्द मल का ठीक से न आना या बार-बार पेट खराब होना जैसी कई परेशानियां होने लगती हैं। इस दौरान आईबीएस के लक्षण देखने को मिलते हैं।

आयुर्वेद में आईबीएस का समाधान शरीर मन और जीवनशैली तीनों स्तरों पर दिया जाता है। इसमें चित्त की शांति पाचन अग्नि का संतुलन नियमित दिनचर्या और सात्विक आहार का पालन शामिल है।

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