राज्यसभा ने दी सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि, हंगामा होने पर कार्यवाही स्थगित

राज्यसभा ने दी सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि, हंगामा होने पर कार्यवाही स्थगित

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नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। राज्यसभा में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि दी गई। सत्यपाल मलिक दो बार राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। बुधवार को उप सभापति हरिवंश नारायण ने राज्य सभा में दिवंगत के प्रति श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश से 2 बार संसद के उच्च सदन के सदस्य बने। पहली बार वे 1982 में सदन के सदस्य बनें। इसके बाद वे वर्ष में 1989 सदन के सदस्य रहे। 

 

24 जुलाई 1946 को जन्मे सत्यपाल मलिक ने अपने चुनावी जीवन की शुरुआत उत्तर प्रदेश विधानसभा से की थी। वह 1974 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने थे। वह अलीगढ़ से नौवीं लोक सभा के लिए सांसद भी चुने गए थे। राज्यसभा में जानकारी देते हुए उप सभापति ने कहा कि सत्यपाल मलिक विभिन्न राज्यों के राज्यपाल भी रह चुके हैं। वह बिहार, गोवा, मेघालय व जम्मू कश्मीर राज्यपाल रह चुके थे। उन्होंने बतौर राज्यपाल उड़ीसा का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला था। उनका राजनीतिक व सामाजिक जीवन कई दशक लंबा रहा। 

 

राज्यसभा में सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे हैं एक योग्य सांसद रहे रहे। सभापति ने कहा इस सत्यपाल मलिक के निधन से देश ने एक महत्वपूर्ण प्रशासक व योग्य राजनेता खो दिया है। राज्यसभा ने सतपाल मलिक को श्रद्धांजलि दी और उनकी याद में मौन रखा गया।

 

सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त मंगलवार को देहांत हुआ था। वह बीते कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। जहां लंबे समय से उनका उपचार चल रहा था। सांसद, राज्यपाल व विधायक रह चुके सत्यपाल मलिक ने 79 वर्ष की आयु में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में प्राण छोड़ दिए। सत्यपाल मलिक के सहयोगियों द्वारा दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक वह किडनी के रोगी थे। उनके इस बीमारी का अस्पताल में उपचार भी चल रहा था। सत्यपाल मलिक कृषि आंदोलन समेत विभिन्न मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते थे। 

 

वहीं सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि देने के कुछ देर बाद ही सदन में एक बार फिर बिहार में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के गहन रिव्यू का विषय उठाने की कोशिश की गई। इस मामले समेत विपक्ष के 35 सदस्यों ने नियम 267 के अंतर्गत विभिन्न विषयों पर चर्चा का नोटिस दिया था। हालाँकि उपसभापति ने नियमों का हवाला देते हुए इन सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद सदन में एक बार फिर से नारेबाजी और हंगामा शुरू हो गया। जिसको देखते हुए सदन की कार्रवाई दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। 

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