मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदें अब चर्चा मंच की जगह सहयोग का इंजन बन गई हैंः अमित शाह

मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदें अब चर्चा मंच की जगह सहयोग का इंजन बन गई हैंः अमित शाह

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नई दिल्ली/रांची 10 जुलाई (हि.ला.)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज झारखंड की राजधानी रांची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी और पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री सुश्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सहित सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में बिहार झारखंड ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं। यह बैठक गृह मंत्रालय भारत सरकार के अधीन अंतर राज्य परिषद सचिवालय द्वारा झारखंड सरकार के सहयोग से आयोजित की गई।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेनाओं ने अपनी वीरता सटीकता और जांबाजी का अनुभव पूरी दुनिया को कराया है और उनके साहस और पराक्रम के लिए पूर्वी क्षेत्रीय परिषद सेनाओं की वीरता के लिए सर्वसम्मति से धन्यवाद प्रस्ताव पारित करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए भारत का आतंकवाद के अंत का मजबूत इरादा पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की भूमि का बहुत बड़ा योगदान रहा है और इस भूमि से भगवान बिरसा मुंडा सहित कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के आंदोलनों का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि पूरा पूर्वी भारत भक्ति ज्ञान संगीत वैज्ञानिक अनुसंधान और क्रांति की भूमि रहा है। शिक्षा के मूल आदर्श स्थापित करने में पूर्वी भारत का बहुत बड़ा योगदान रहा है। शाह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी बिरसा मुंडा जी नेताजी सुभाष चंद्र बोस डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बाबू जगजीवन राम सहित कई विभूतियों ने इसी भूमि से देश को अनेक क्षेत्र में नेतृत्व देने का काम किया है। सांस्कृतिक चेतना भक्ति चेतना और क्रांति तीनों का संगम इसी भूमि पर हुआ है।

अमित शाह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदों की कल्पना इन्हें सहकारी संघवाद की सशक्त आधारशिला बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी। क्षेत्रीय परिषदें अब परामर्श से क्रियान्वयन प्लेटफार्म बन गई हैं और इनके माध्यम से हम केन्द्र के साथ राज्यों और राज्यों के बीच के आपसी मुद्दों को काफी हद तक हल करने में सफल हुए हैं। क्षेत्रीय परिषदें अब चर्चा मंच की जगह सहयोगी इंजन बन गई हैं। वर्ष 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 25 बैठकें हुईं जबकि 2014 से 2025 में यह दोगुने से भी अधिक बढ़कर 63 हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रतिवर्ष 2-3 बैठकों से आगे बढ़कर प्रतिवर्ष लगभग 6 बैठकों के आयोजन तक पहुंच गए हैं। श्री शाह ने कहा कि इन बैठकों में कुल 1580 मुद्दों पर चर्चा की गई जिनमें से 1287 यानी 83 प्रतिशत मुद्दे हल कर लिए गए हैं जो हम सबके लिए एक बहुत संतोष का विषय है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में 83 प्रतिशत मुद्दों का समाधान इन बैठकों की सार्थकता को दर्शाता है।

आज की बैठक में मसंजौर बांध तैयबपुर बराज और इंद्रपुरी जलाशय से संबंधित काफी समय से लंबित जटिल मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही बिहार के विभाजन के समय से ही लंबित अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की संपत्तियों और देनदारियों के बिहार और झारखंड राज्यों के बीच विभाजन से संबंधित मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई और इनके समाधान की दिशा में आपसी सहमति से निर्णायक कदम उठाए गए।

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