नई दिल्ली 16 जुलाई (हि.ला.)। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने आज कहा कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने एक बड़ा ही विचित्र सा आदेश पारित किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का राजस्व विभाग दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के अधीन आता है यानि रेखा गुप्ता दिल्ली की राजस्व विभाग मंत्री भी हैं और उनकी सहमति से यह आदेश पारित किया गया है।
पार्टी मुख्यालय में बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान इस आदेश के संबंध में पत्रकारों को जानकारी देते हुए भारद्वाज ने कहा कि आदेश में यह कहा गया है कि अब से यदि दिल्ली सरकार में कोई मंत्री भी डीएम या एसडीएम को किसी बैठक के लिए बुलाता है तो उसे पहले मुख्य सचिव की अनुमति लेनी होगी। अर्थात बिना मुख्य सचिव की अनुमति के अब कोई मंत्री भी डीएम या एसडीएम को अपने किसी विभाग से संबंधित किसी भी मामले की बैठक में नहीं बुला सकेगा।
सौरभ भारद्वाज ने उस आदेश में लिखी भाषा पर एतराज जताते हुए कहा कि इस आदेश में जनता के द्वारा चुने गए विधायकों को का अपमान किया गया है। आदेश में लिखी बातों को पढ़ते हुए उन्होंने बताया कि इसमें लिखा है की मंत्री बैठकों के लिए राजस्व विभाग के अधिकारी डीएम एडीएम और एसडीएम को बुलाते हैं और विधायक भी बैठकों और निरीक्षण के लिए इन अधिकारियों को बुला लेते हैं। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस आदेश में यह कहा जाना कि विधायक भी राजस्व विभाग के इन अधिकारियों को बैठकों और निरीक्षण में बुला लेते हैं यह जनता के द्वारा चुने गए विधायकों का अपमान है। विधायक कोई राह चलता व्यक्ति नहीं है। वह एक विधानसभा में रहने वाले लोगों द्वारा चुना गया उनका प्रतिनिधि होता है। मीडिया के माध्यम से प्रश्न पूछते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यदि विधायक अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के मामलों में डीएम एडीएम और एसडीएम को निरीक्षण के लिए नहीं बुलाएगा तो किसे बुलाएगा?
अखबारों में छपी खबर का हवाला देते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कुछ अखबारों में लिखा है कि दिल्ली सरकार ने अपनी ही सरकार में मंत्रियों के पर कतरे। उन्होंने कहा कि यह समझ से बिल्कुल परे है कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार अपनी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ ही इस तरह के आदेश पारित कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार में केवल 6 मंत्री हैं और एक मुख्यमंत्री है। अगर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को ऐसा लगता है कि उनकी सरकार के मंत्री राजस्व विभाग के अधिकारियों को बेवजह बुलाते हैं परेशान करते हैं तो यह बात वह मंत्रियों को मौखिक रूप से भी कह सकती थीं।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस आदेश को पढ़कर ऐसा प्रतीत होता है कि ऑल इज़ नॉट वेल इन दिल्ली सरकार। उन्होंने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत एक विधायक का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव के बराबर होता है और एक मंत्री का प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊपर होता है। यह बड़ा ही हास्यास्पद आदेश है कि अब एक मंत्री जिसका प्रोटोकॉल मुख्य सचिव से ऊपर है वह मुख्य सचिव से अनुमति लेगा कि क्या मैं अपनी बैठक में राजस्व विभाग के अधिकारियों को बुला लूँ? उन्होंने कहा यह आदेश सीधे-सीधे मंत्रियों और विधायकों का अपमान है। इस आदेश से ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा शासित दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच जो समन्वय होना चाहिए वह नहीं है।