दिल्ली सरकार के स्कूल फीस बिल के खिलाफ पैरेंट्स का हल्ला बोल, ‘‘आप’’ का मिला समर्थन

दिल्ली सरकार के स्कूल फीस बिल के खिलाफ पैरेंट्स का हल्ला बोल, ‘‘आप’’ का मिला समर्थन

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  • यह बिल सिर्फ प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने के लिए और मिडिल क्लास के खिलाफ लाया जा रहा हैः सौरभ भारद्वाज

 

नई दिल्ली, 5 अगस्त (हि.ला.)। दिल्ली विधानसभा में भाजपा सरकार द्वारा लाए गए स्कूल फीस बिल के खिलाफ अब पैरेंट्स भी सड़कों पर उतर गए हैं। मंगलवार को बड़ी संख्या में पैरेंट्स दिल्ली विधानसभा के पास चंदगी राम अखाड़ा पर बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान पैरेंट्स ने सरकार से इस बिल को वापस लेने और शिक्षा मंत्री आशीष सूद से इस्तीफे की मांग की। साथ ही, यूनाइटेड पैरेंट्स वॉयस के बैनर तले हस्ताक्षर अभियान भी चलाया। पैरेंट्स के इस विरोध प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी ने खुला समर्थन दिया। ‘‘आप’’ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने प्रदर्शन में शामिल होकर उनकी मांगों का समर्थन किया।

दिल्ली विधानसभा के पास चंदगी राम अखाड़ा पर स्कूल फीस बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पैरेंट्स का समर्थन देने पहुंचे ‘‘आप’’ दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में निजी स्कूलों में फीस तय करने को लेकर जो कानून लाया जा रहा है और जिन पैरेंट्स के लिए कानून लाया जा रहा है, उन पैरेंट्स से कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया। पैरेंट्स ने मांग की कि सभी प्राइवेट स्कूलों की ऑडिट कराई जाए। भाजपा की सरकार ने कहा कि वह हर स्कूल का ऑडिट करा ली है। लेकिन इस नए कानून में स्कूलों के ऑडिट का कोई प्रावधान नहीं है। अगर स्कूल के खिलाफ शिकायत भी करनी होगी तो 15 फीसद पैरेंट्स की जरूरत पड़ेगी। अगर किसी स्कूल में 3 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं तो 450 पैरेंट्स हस्ताक्षर करेंगे तभी स्कूल के खिलाफ शिकायत की जा सकती है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब कमेटी के पास न कोई चाटर्ड अकाउंटेंट है और ना कोई ऑडिटेट अकाउंट है तो प्राइवेट स्कूलों में फीस तय करने का फैसला कोई कमेटी कैसे करेगी? स्कूलों के टीचर कहेंगे कि हमारी सैलरी बढ़ानी है, तो पैरेंट्स इसमें क्या करेंगे? इसका साधारण तरीका यह था कि दिल्ली के 1677 स्कूलों की सरकार हर साल ऑडिट कराए। उस ऑडिट को सार्वजनिक किया जाए ताकि स्कूल को कितना फायदा या घाटा हुआ है, पैरेंट्स को पता चल सके। उसी के अनुसार फीस घटाई या बढ़ाई जा सकती है। भाजपा सरकार द्वारा बिल में कई कमेटियों का जो ढकोसला किया है, वह सिर्फ प्राइवेट स्कूल के मालिकों, धन्ना सेठों को फायदा देने के लिए किया गया है और यह सीधे तौर पर मिडिल क्लास के खिलाफ है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने स्कूल फीस बिल में कई संशोधन करने के लिए कई सुझाव दिए हैं। मसलन, प्राइवेट स्कूल के खिलाफ शिकायत करने के लिए 15 फीसद पैरेंट्स की अनिवार्यता को हटाया जाना चाहिए। अब दिल्ली के लोग देखेंगे कि विधानसभा में ‘‘आप’’ विधायक दल द्वारा लाए गए संशोधन प्रस्तावों के समर्थन में भाजपा के विधायक वोट डालते हैं या नहीं डालते हैं। अगर भाजपा के विधायक संशोधन प्रस्तावों के खिलाफ वोट डालते हैं तो साफ हो जाएगा कि भाजपा प्राइवेट स्कूल मालिकों के साथ मिली हुई है।

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