सोल 10 जुलाई (वार्ता)। दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल को रिहाई के कुछ ही समय बाद न्यायिक हिरासत में ले लिया गया क्योंकि उनके खिलाफ पिछले साल मार्शल लॉ की घोषणा के मामले में दूसरी जांच लंबित है।
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक जांच का नेतृत्व कर रहे स्वतंत्र वकील ने बताया कि सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सबूतों के नष्ट होने की आशंका के चलते गुरुवार सुबह येओल की दोबारा गिरफ़्तारी के वारंट को मंज़ूरी दे दी।
पिछले साल दिसंबर में येओल ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था जिसकी वजह से दक्षिण कोरिया संवैधानिक और राजनीतिक संकट में फंस गया था। उनके इस फैसले को देश के लोकतंत्र पर हमला करार दिया गया था।
उन्होंने सांसदों द्वारा राष्ट्रीय एसेम्बली में जबरदस्ती घुसने और इसे रोकने के लिए मतदान करने के छह घंटे के अंदर अपना रूख बदल लिया था।
येओल को जनवरी में विद्रोह का नेतृत्व करने और संविधान की अवहेलना करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था और वे दक्षिण कोरिया के इतिहास में गिरफ़्तार होने वाले पहले राष्ट्रपति बन गए। तकनीकी कारणों से सोल की अदालत ने उनके गिरफ़्तारी वारंट को रद्द कर दिया था और इसके बाद उन्हें मार्च में रिहा कर दिया गया था।
अप्रैल में सांसदों ने उन पर जनता के विश्वास के साथ गंभीर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए उन्हें सर्वसम्मति से पद से हटा दिया था। हालांकि येओल ने अपने कार्यों के लिए माफ़ी मांगी थी लेकिन उन्होंने अपने कदमों को राज्य-विरोधी ताकतों और उत्तर कोरियाई कम्युनिस्टों से सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए उनका बचाव करना जारी रखा।
नई दिल्ली 10 जुलाई (हि.ला.)।