झारखंड को 2027 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य, राज्यभर में 'मास ड्रग अभियान' शुरू

झारखंड को 2027 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य, राज्यभर में 'मास ड्रग अभियान' शुरू

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जामताड़ा, 10 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड को 2027 तक फाइलेरिया मुक्त करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसे लेकर रविवार को पूरे राज्य में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान शुरू किया गया। यह अभियान केंद्र सरकार की सहायता से शुरू किया गया है, जो आगामी 25 अगस्त तक चलेगा।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने जामताड़ा जिला मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद इस दवा की खुराक लेकर अभियान की औपचारिक शुरुआत की।

उन्होंने राज्य भर के लोगों से फाइलेरिया से लड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फाइलेरिया केवल शारीरिक अपंगता नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, आजीविका और मानसिक स्वास्थ्य को भी गहरा आघात पहुंचाती है। इसे पूरी तरह रोका जा सकता है और वह भी साल में सिर्फ एक बार दी जाने वाली दवा से।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में लगातार चलाए जा रहे अभियान से फाइलेरिया रोगियों की संख्या में बड़ी कमी दर्ज की गई है।

विभाग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में जुलाई महीने में 268 मरीज पाए गए, जबकि 2024 के जून तक यह संख्या 776 थी। इस प्रकार केवल एक वर्ष में फाइलेरिया के मरीजों की संख्या में भारी कमी आई है।

इस वर्ष मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का पहला चरण 10 फरवरी से शुरू हुआ था, जिसमें 1.85 करोड़ लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए दवा दी गई। इस अभियान की शुरुआत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने वर्चुअल माध्यम से की थी।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, झारखंड के 14 जिलों के 91 प्रखंडों में फाइलेरिया के मरीज मौजूद हैं। इनमें रांची, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, देवघर, धनबाद, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, लोहरदगा, रामगढ़ और साहिबगंज जिले शामिल हैं, जहां लोगों को डीईसी और अल्बेंडाजोल दवाओं का सेवन कराया गया। सिमडेगा, पाकुड़ और कोडरमा जिलों में डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन तीन दवाओं के सेवन का अभियान चलाया गया था।

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