नई दिल्ली 19 जुलाई (आईएएनएस)। भारत के पूर्व हेड कोच ग्रेग चैपल ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में रवींद्र जडेजा की बल्लेबाजी पर सवाल खड़े किए हैं। चैपल के अनुसार इस ऑलराउंडर को सोच-समझकर जोखिम उठाने की जरूरत थी। जडेजा ने लॉर्ड्स में 193 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 181 गेंदों में नाबाद 61 रन बनाए थे लेकिन टीम को जीत नहीं दिला सके।
मुकाबले के पांचवें दिन जडेजा ने अर्धशतक जड़ा लेकिन उनकी यह पारी बेकार गई। भारत लॉर्ड्स में 22 रनों से हार गया। पांच मुकाबलों की सीरीज में इंग्लैंड की टीम फिलहाल 2-1 से आगे है।
चैपल ने शनिवार को ईएसपीएनक्रिकइन्फो के लिए अपने कॉलम में लिखा लॉर्ड्स टेस्ट में अहम पल तब आया जब जडेजा मैच के आखिरी समय में अकेले मुख्य बल्लेबाज के तौर पर बचे। उन्होंने वही किया जो अधिकतर बल्लेबाज ऐसी स्थिति में करते हैं। उन्होंने पुछल्ले बल्लेबाजों को बचाया स्ट्राइक को कंट्रोल किया और उसे अपने पास रखा। बाहर से देखने पर यह समझदारी भरी पारी लगती है लेकिन क्या यह सही तरीका था?
पूर्व हेड कोच ने कहा सच्चाई यह है कि उस समय जडेजा ही अकेले अनुभवी बल्लेबाज थे। अगर भारत को मैच जीतना था तो उन्हें सोच-समझकर जोखिम लेना ही पड़ता। उनका काम सिर्फ गेंद छोड़ना और सिंगल्स लेना नहीं था। उनका काम टीम को जीत दिलाना था। यह बात उन्हें कप्तान की ओर से साफतौर पर बताई जानी चाहिए थी। उन्हें साफतौर कहा जाना चाहिए था- अब यही मौका है आपको ही मैच जिताना है। पुछल्ले बल्लेबाज बस टिके रहें लेकिन जीत के लिए कोशिश आपको करनी है।
रवींद्र जडेजा ने जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ क्रमशः 35 और 23 रनों की साझेदारियां कीं। हालांकि चैपल ने साल 2019 के हेडिंग्ले टेस्ट को याद किया है जिसमें बेन स्टोक्स ने आक्रामक अंदाज अपनाकर इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत दिलाई थी।
चैपल ने निष्कर्ष निकाला हमने 2019 में लीड्स में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेन स्टोक्स को इसी तरह की पारी खेलते देखा। ऐसी ही स्थिति में उन्होंने खुद पर भरोसा किया और पिछले 50 वर्षों की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक खेली। सबसे अहम बात यह थी कि स्टोक्स ने वह पारी इस विश्वास के साथ खेली कि चाहे वे सफल हों या असफल उनकी टीम और कप्तान हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे। यही सोच किसी भी महान टीम में विकसित की जानी चाहिए