नई दिल्ली, 6 अगस्त (हि.ला.)। कांग्रेस ने राज्यसभा में चेयर पर नियमों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। पार्टी महासचिव (संचार) एवं राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने आज कहा कि राज्यसभा के उपसभापति ने मंगलवार को सदन में पूर्व सभापति द्वारा स्थापित नियमों की अनदेखी की और चुनाव आयोग की कारगुजारियों पर चर्चा की इजाजत नहीं दी। जयराम रमेश ने एसआईआर को लेकर जो बिहार में हो रहा है, उस पर दोनों सदनों मे चर्चा कराने की मांग की।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में आज कहा, "राज्यसभा में सभापति का पद एक सतत संस्था है-इस पर कौन बैठा है, इससे अंतर नहीं पड़ता है। कल राज्यसभा के उपसभापति ने यह निर्णय दिया कि चूंकि 14 दिसंबर 1988 को लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि चुनाव आयोग से जुड़ा कोई भी विषय संसद में चर्चा योग्य नहीं है, इसलिए इस पर चर्चा नहीं हो सकती।"
उन्होंने आगे कहा, "मोदी सरकार द्वारा ही नियुक्त राज्यसभा के सभापति ने 21 जुलाई 2023 को स्पष्ट रूप से निर्णय दिया था कि 'राज्यसभा इस धरती पर मौजूद किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए अधिकृत है, बस एक अपवाद को छोड़कर।' उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि 'यह एकमात्र प्रतिबंध' न्यायाधीशों के आचरण से संबंधित है, वह भी केवल तभी जब उनका निष्कासन का प्रस्ताव लंबित हो। उस समय के सभापति ने यह भी जोड़ा था कि सब-जुडिस (अदालत में विचाराधीन मामला) की अवधारणा पूरी तरह से गलत तरीके से समझी गई है।"
जयराम रमेश ने सवालिया लहजे में कहा कि विपक्ष को बार-बार यह याद दिलाया जाता है कि संसद की कार्यवाही नियमों और परंपराओं पर चलती है ,तो फिर 21 जुलाई 2023 को राज्यसभा के सभापति द्वारा दिए गए इस निर्णय की जानबूझकर अनदेखी क्यों की जा रही है?
उन्होंने कहा कि पूरे विपक्ष की यह मांग कि बिहार में चुनाव आयोग के माध्यम से G2 द्वारा रची जा रही वोटबंदी और वोटचोरी की साजिश - जिसे अब पश्चिम बंगाल, असम और अन्य राज्यों में दोहराया जाना है - पर लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा हो। दोनों सदनों में इस मांग से कोई समझौता नहीं होगा।