कांग्रेस ने चुनावों में लगाया धांधली का आरोप, खरगे बोले- नरेंद्र मोदी की कठपुतली है आयोग

कांग्रेस ने चुनावों में लगाया धांधली का आरोप, खरगे बोले- नरेंद्र मोदी की कठपुतली है आयोग

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  • राहुल गांधी ने कहा- लोकसभा चुनाव में अगर 15 सीटों पर भी धांधली न हुई होती, तो मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते

 

नई दिल्ली, 2 अगस्त (हि.ला.)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पार्टी के कानून, मानवाधिकार एवं आरटीआई विभाग द्वारा आयोजित वार्षिक कानूनी सम्मेलन में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए उस पर भाजपा के पक्ष में काम करने के आरोप लगाए।

शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में पार्टी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार में किए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण को गरीबों, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश बताया। उन्होंने चुनावों में धांधली का हवाला देते हुए चुनाव आयोग को नरेंद्र मोदी की कठपुतली बताया और सवाल उठाया कि महाराष्ट्र के एक हॉस्टल में नौ हजार वोटर्स कैसे हो सकते हैं?

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज संविधान खतरे में है। यदि भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 सीटें मिल जाती, तो वो संविधान को बदल देते। उन्होंने हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश द्वारा धर्म विशेष के लोगों के लिए अपशब्द का प्रयोग किए जाने का हवाला देते हुए कहा कि अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

खरगे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर चुप्पी साधने को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें डरपोक बताया। उन्होंने सवाल किया कि ट्रंप के सामने मोदी देश के सम्मान और स्वाभिमान से समझौता क्यों कर रहे हैं।

खरगे ने संसद में विपक्षी सांसदों को बोलने न देने और उन्हें निलंबित करने की नई परंपरा की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हर किसी पर दबाव डालती है। उन्होंने उदाहरण दिया कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पूर्व सभापति जगदीप धनखड़ को एक जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार करने के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। अब संसद में सीआईएसएफ को बुलाकर विपक्षी सांसदों को डराने का प्रयास किया जा रहा है।

लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अपने संबोधन में दावा किया कि भारत में चुनाव प्रणाली पहले ही खत्म हो चुकी है। उन्हें संदेह है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 70 से 100 सीटें धांधली से जीती थीं। नरेन्द्र मोदी के बहुत ही कम बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर केवल 15 सीटों पर भी धांधली न होती तो मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने छह महीने के अथक प्रयास के बाद धांधली के सबूत जुटाए हैं, जो एटम बम की तरह हैं और जिन्हें सार्वजनिक करने पर चुनावी व्यवस्था में भूचाल आ जाएगा। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक मामले में साढ़े छह लाख मतदाताओं में से डेढ़ लाख मतदाता फर्जी पाए गए। उन्होंने कहा कि उनके संदेह की शुरुआत 2014 से ही हो गई थी, लेकिन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों से उन्हें पक्का विश्वास हो गया।

राहुल ने दावा किया कि केंद्रीय कानून के विरोध में किसानों का साथ देने पर उन्‍हें धमकाने के लिए भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली को भेजा गया था। उन्होंने कहा कि जो कोई भी इस सरकार से लड़ता है, उसे प्रताड़ित किया जाता है। उन्होंने लगभग 30 कानूनी मुकदमों का सामना करने का अपना उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि कायरों से कभी डरना नहीं चाहिए, यह उनके परिवार ने उन्हें सिखाया है।

कुछ उत्साही नारों के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि वह राजा नहीं हैं और राजा बनना भी नहीं चाहते। वह राजा की अवधारणा के खिलाफ हैं।

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी सम्मेलन के लिए अपना विशेष संदेश दिया, जिसे पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने पढ़कर सुनाया। सोनिया गांधी ने कहा कि भारत का संविधान हमारे लोकतंत्र का नैतिक आधार है, जो न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर आधारित है। इसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बलिदान और दूरदर्शिता ने आकार दिया है।

उन्होंने कहा कि आज संविधान खतरे में है। भाजपा-आरएसएस, जिन्होंने कभी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई नहीं लड़ी या समानता को बरकरार नहीं रखा, अब अपनी शक्ति का इस्तेमाल उसी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए कर रहे हैं, जिसका वे लंबे समय से विरोध करते रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने सत्ता में रहते हुए संस्थाओं को नष्ट किया, असहमति को अपराध बना दिया, अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया। दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और मेहनतकश गरीबों से विश्वासघात किया।

सोनिया ने कहा कि अब भाजपा-आरएसएस समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता को मिटाना चाहते हैं, जो अंबेडकर के समान नागरिकता के दृष्टिकोण के स्तंभ हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह सुधार नहीं, बल्कि एक वैचारिक तख्तापलट है। यह हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य को एक ऐसे धर्म आधारित कॉर्पोरेट राज्य में बदलने का प्रयास है, जो सिर्फ कुछ शक्तिशाली लोगों की सेवा करता है।

सम्मेलन में कार्यक्रम के आयोजक कानून, मानवाधिकार एवं आरटीआई विभाग के अध्यक्ष डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, कोषाध्यक्ष अजय माकन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी मौजूद थे। सम्मेलन में देशभर से बड़ी संख्या में आए वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों, कानूनी शिक्षाविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।

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