कर्तव्य भवन से तय होगी विकसित भारत की दिशा : पीएम मोदी

कर्तव्य भवन से तय होगी विकसित भारत की दिशा : पीएम मोदी

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नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थित 'कर्तव्य भवन' का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अगस्त महीने की प्रमुखता को बताया। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त से पहले हम आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं।

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, "अगस्त का महीना क्रांति का महीना है। 15 अगस्त से पहले हम आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ, देश का नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, शहीदों को समर्पित नेशनल वॉर मेमोरियल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और कर्तव्य भवन है। यह केवल कुछ नई इमारतों या बुनियादी ढांचे के बारे में नहीं है। अमृत काल के दौरान इन्हीं इमारतों में विकसित भारत की नीतियां तैयार की जाएंगी। विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण निर्णय होंगे और आने वाले दशकों में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी। मैं सभी देशवासियों को कर्तव्य भवन की बधाई देता हूं।"

पीएम मोदी ने कहा, "काफी विचार-विमर्श के बाद हमने इस भवन का नाम 'कर्तव्य भवन' रखा है। 'कर्तव्य पथ' और 'कर्तव्य भवन' हमारे लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना को प्रतिबिंबित करते हैं। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है, 'हमें क्या प्राप्त करना है और क्या प्राप्त नहीं करना है, इस सोच से ऊपर उठकर कर्तव्य भाव से कर्म करना चाहिए।' कर्तव्य भारतीय संस्कृति में ये शब्द दायित्व तक सीमित नहीं है बल्कि कर्तव्य हमारे देश की कर्मप्रधान दर्शन की मूल भावना है। 'कर्तव्य ही आरंभ है, कर्तव्य ही प्रारब्ध है' करुणा और कर्मठता के स्नेह सूत्र में बंद कर्म वही तो कर्तव्य है। सपनों का साथ है कर्तव्य, संकल्पों की आस है कर्तव्य। परिश्रम की पराकाष्ठा है कर्तव्य, हर जीवन में ज्योत जल दे, वो इच्छा शक्ति है कर्तव्य।"

पीएम मोदी ने कहा, "आजादी के बाद दशकों तक देश की प्रशासनिक मशीनरी ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में बनी इमारतों से चलती रही। आप भी जानते हैं कि दशकों पुराने इन प्रशासनिक भवनों की हालत कितनी खराब थी।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य भवन की खासियतों के बारे में जिक्र करते हुए कहा, "यह पहला कर्तव्य भवन है, जो बनकर तैयार हुआ है। कई और कर्तव्य भवनों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। जब ये कार्यालय पास में स्थानांतरित हो जाएंगे, तो कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्य वातावरण और सुविधा उपलब्ध होगी। आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, कुल कार्य क्षमता बढ़ेगी और सरकार को किराए पर खर्च होने वाले 1,500 करोड़ की बचत भी होगी।"

उन्होंने आगे कहा, "कर्तव्य भवन की छत पर सौर पैनल लगाए गए हैं और भवन में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक उन्नत प्रणाली को एकीकृत किया गया है। हरित भवनों का विजन अब पूरे भारत में फैल रहा है। भव्य कर्तव्य भवन, ये नई परियोजनाएं, नए रक्षा परिसर और देश भर में प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं न केवल प्रगति के प्रतीक हैं बल्कि ये भारत के वैश्विक दृष्टिकोण का भी प्रतिबिंब हैं।"

प्रधानमंत्री ने कहा, "एक ओर जहां भारत मंडपम का निर्माण किया गया है, वहीं देश भर में 1,300 से अधिक अमृत भारत रेलवे स्टेशन भी विकसित किए जा रहे हैं। यशोभूमि की भव्यता पिछले 11 वर्षों में निर्मित 90 नए हवाई अड्डों में भी परिलक्षित होती है। महात्मा गांधी कहते थे कि अधिकार और कर्तव्य का गहरा संबंध है। सरकार प्रशासन और जनता के बीच संबंधों को मजबूत करने, जीवन को आसान बनाने, वंचितों को प्राथमिकता देने, महिलाओं को सशक्त बनाने और शासन की दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार नए तरीकों से काम कर रही है। हमें इस बात पर गर्व है कि पिछले ग्यारह वर्षों में देश ने एक पारदर्शी, संवेदनशील और नागरिक-केंद्रित शासन प्रणाली विकसित की है।"

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