उत्तराखंडः केदारनाथ मार्ग पर भूस्खलन के कारण फंसे 2874 श्रद्धालुओं को एसडीआरएफ ने सुरक्षित निकाला 

उत्तराखंडः केदारनाथ मार्ग पर भूस्खलन के कारण फंसे 2874 श्रद्धालुओं को एसडीआरएफ ने सुरक्षित निकाला 

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देहरादून, 26 जुलाई (हि.ला.)। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में श्रीकेदारनाथ यात्रा मार्ग पर शनिवार को सोनप्रयाग के आगे लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण सम्पूर्ण मार्ग अवरुद्ध हो गया, जिससे तीर्थयात्रियों की आवाजाही अस्थायी रूप से रोकनी पड़ी। मार्ग बंद होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्लाइडिंग जोन में फंस गए थे।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसडीआरएफ की टीम ने एनडीआरएफ, जिला पुलिस एवं लोक निर्माण विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर तत्काल राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ किया। निरंतर चलाए जा रहे इस रेस्क्यू अभियान के अंतर्गत समाचार लिखे जाने तक कुल 2874 श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्लाइडिंग जोन पार कराया जा चुका है, जिनमें 2578 पुरुष, 263 महिलाएं एवं 33 बच्चे शामिल हैं। बचाव कार्य अभी भी जारी है।

उल्लेखनीय है कि रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लॉक के रुमसी गांव में शुक्रवार रात (25 जुलाई की मध्य रात्रि) भीषण प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा, जब इलाके में अचानक बादल फटने की घटना हुई। इस हादसे के बाद बिजयनगर समेत कई गांवों में अफरा-तफरी मच गई। घरों में पानी घुस गया, कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और बड़ी मात्रा में कृषि भूमि तबाह हो गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस आपदा में अब तक किसी जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।

बादल फटने के साथ ही कई स्थानों पर मलबा और पानी बहकर रिहायशी इलाकों में घुस गया। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल अलर्ट पर हैं। भारी बारिश के कारण क्षेत्र में भूस्खलन की घटनाएं भी लगातार हो रही हैं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

केदारनाथ यात्रा पर भी इस आपदा का असर पड़ा है। एसडीआरएफ पोस्ट सोनप्रयाग से शनिवार को मिली जानकारी के अनुसार, सोनप्रयाग से आगे के क्षेत्रों में लगातार भूस्खलन की स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह से यात्रा मार्ग आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केदारनाथ यात्रा को गौरीकुंड में अस्थायी रूप से रोक दिया गया है।

घटना की जानकारी मिलते ही एसडीआरएफ की टीम, उप निरीक्षक अशीष डिमरी के नेतृत्व में तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना हुई। टीम ने मौके पर पहुंचकर सतर्कता और सूझबूझ से राहत कार्य शुरू किया।

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