आईबीसी 10 जुलाई को सारनाथ में आषाढ़ पूर्णिमा - धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस मनाएगा

आईबीसी 10 जुलाई को सारनाथ में आषाढ़ पूर्णिमा - धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस मनाएगा

Share this post:

 

नई दिल्ली, 8 जुलाई (हि.ला.)। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) की ओर से महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ मिलकर 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम के साथ धम्मचक्कप्पवत्तन दिवस मनाया जाएगा।

आषाढ़ पूर्णिमा को धम्म चक्र प्रवर्तन की प्रक्रिया का प्रथम महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। इसी दिन भगवान बुद्ध ने अब सारनाथ के नाम से विख्यात ऋषिपटन मृगादय के मृग उद्यान में पंचवर्गीय (पांच तपस्वी साथियों) को पहली बार उपदेश दिया था। यह पवित्र अवसर वर्षा वास अर्थात वर्षा ऋतु में विश्राम की शुरुआत का भी संकेत है। संपूर्ण बौद्ध भिक्षु और भिक्षुणियां इस पावन अवसर पर अपने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

इस अवसर पर ऐतिहासिक धामेक स्तूप पर संध्या काल में सम्मानित संघ समुदाय के नेतृत्व में पवित्र परिक्रमा और मंत्रोच्चारण से कार्यक्रम की शुरुआत होगी। पारंपरिक रीतियों के अनुसार इस अनुष्ठान में भ्रमण और मंत्रोच्चारण से समारोह स्थल पर गहन आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होगी। उसके बाद प्रख्यात भिक्षुओं, विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों की ओर से मंगलाचरण पाठ होगा और चिंतन-मनन किया जाएगा।

सारनाथ: बुद्ध की शिक्षाओं का उद्गम स्थल

सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने बुद्ध धम्म की नींव रखते हुए चार आर्य सत्य और आर्य अष्टांगिक मार्ग का ज्ञान साझा किया था। श्रीलंका में यह दिन एसाला पोया और थाईलैंड में असन्हा बुचा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों में गंभीर आध्यात्मिक महत्व है।

इसके अतिरिक्त, बौद्ध और हिंदू समुदाय आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं। यह ज्ञान के माध्यम से जीवन के अंधकार का नाश करने वाले अपने आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का दिन है।

स्पेशल रिपोर्ट

Stay Connected

Popular News