नई दिल्ली 18 जुलाई (हि.ला.)। डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत दिल्ली विधान सभा ने अपने पुस्तकालय के व्यापक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्नत तकनीकों के माध्यम से एक कुशल समावेशी और डिजिटल रूप से सुलभ और आधुनिक सूचना प्रणाली के निर्माण की प्रतिबद्धता दर्शाते हुए विधानसभा ने इस दिशा में एक विस्तृत कार्ययोजना और व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार करने का दायित्व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) को सौंपा था। यह रिपोर्ट अब विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को सौंप दी गई है जिसमें पुस्तकालय के ढांचे संसाधनों और डिजिटल सेवाओं के सुधार के लिए स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।
इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए हाल ही में गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई जिसमें गुप्ता ने विधायी अनुसंधान को सशक्त बनाने और सूचना तक डिजिटल पहुँच सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने पुस्तकालय को आधुनिक आईटी अवसंरचना से युक्त अत्याधुनिक ई-लाइब्रेरी में रूपांतरित करने की योजना की घोषणा की। आईजीएनसीए ने अपनी रिपोर्ट में पुस्तकालय का नाम बदलकर दिल्ली विधान सभा पुस्तकालय अभिलेखागार एवं संग्रहालय रखने का प्रस्ताव भी दिया है ताकि इसकी व्यापक भूमिका को दर्शाया जा सके।
व्यवहार्यता रिपोर्ट में कार्मिक अवसंरचना और तकनीकी क्षेत्र में सुधार की सिफारिश की गई है। प्रमुख प्रस्तावों में एक वरिष्ठ सलाहकार (पुस्तकालय) एक सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी (एएलआईओ) दो पुस्तकालय परिचारक और पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान (एलआईएस) प्रशिक्षुओं की नियुक्ति शामिल है। स्टाफ पदों और वेतनमानों को तीन महीनों के भीतर उन्नत करना प्राथमिकता में है। संसद पुस्तकालय जैसे संस्थानों से सहयोग की योजना भी बनाई गई है।
संरचनात्मक सुधार में पूरे पुस्तकालय का नवीनीकरण आधुनिक फर्नीचर कॉम्पैक्ट शेल्विंग संग्रहालय-शैली के डिस्प्ले और दीमक-निवारण जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं जिन्हें पीडब्ल्यूडी के माध्यम से आरएफपी प्रक्रिया द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा।
डिजिटल पक्ष में कोहा लाइब्रेरी मैनेजमेंट सिस्टम एक समर्पित पुस्तकालय पोर्टल और डी-स्पेस आधारित डिजिटल रिपॉजिटरी की शुरुआत की जाएगी। पुस्तकालय डीईएलएनईटी (DELNET)से जुड़ेगा प्रेस रीडर और मैग्जटर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की सदस्यता लेगा और प्रमुख संसाधनों तक ऑनलाइन पहुँच प्रदान करेगा।
वेबसाइट को और बेहतर किया जाएगा तथा नए कंप्यूटर और ओपीएसी (OPAC) टर्मिनल लगाए जाएँगे। डिजिटलीकरण का मुख्य फोकस अभिलेखीय संरक्षण पर होगा जिसमें ओसीआर-सक्षम स्वरूपों का प्रयोग किया जाएगा। ब्रिटिश लाइब्रेरी जैसे संस्थानों से दुर्लभ सामग्री प्राप्त करने के लिए साझेदारियाँ भी की जाएँगी।
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए एक प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाएगा जिसे समर्पित बजट आवंटन का समर्थन प्राप्त होगा।
यह ऐतिहासिक परियोजना दिल्ली विधानसभा की शोध-उन्मुख डिजिटल रूप से सुधार एवं ज्ञान-संपन्न संस्थागत ढांचे की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप है जो पारदर्शी शासन डिजिटल समावेशन और जनता की विधायी संसाधनों व विरासत तक आसान पहुँच को बढ़ावा देती है।