अमरनाथ यात्रा : 3.77 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

अमरनाथ यात्रा : 3.77 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

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श्रीनगर, 28 जुलाई (आईएएनएस)। अमरनाथ यात्रा को लेकर भक्तों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। 3 जुलाई से शुरू हुई इस यात्रा में अब तक 3.77 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं। सोमवार को 1,635 श्रद्धालुओं का एक और जत्था जम्मू से कश्मीर घाटी के लिए रवाना हुआ।

श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) के अधिकारियों ने बताया कि रविवार को श्रीनगर में दशनामी अखाड़ा भवन के अंदर श्री अमरेश्वर मंदिर में ‘छड़ी स्थापना’ समारोह आयोजित किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि छड़ी पूजन 29 अगस्त को नाग पंचमी के दिन श्रीनगर स्थित इसी मंदिर में मनाया जाएगा। वहीं, छड़ी मुबारक की अंतिम यात्रा 4 अगस्त को पवित्र गुफा की ओर शुरू होगी।

अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को 1,635 तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था दो सुरक्षा काफिलों में जम्मू से रवाना हुआ। 17 वाहनों का पहला काफिला 374 यात्रियों को लेकर सुबह 3.25 बजे बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हुआ, जबकि 42 वाहनों का दूसरा काफिला 1,261 यात्रियों को लेकर सुबह 4 बजे पहलगाम बेस कैंप के लिए रवाना हुआ।

अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यह यात्रा पहलगाम हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी।

180 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों को सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत बढ़ाने के लिए लाया गया है। जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से गुफा मंदिर तक के पूरे रास्ते और दोनों आधार शिविरों के रास्ते में सभी पारगमन शिविरों को सुरक्षा बलों ने सुरक्षित कर लिया है। सेना, बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी और स्थानीय पुलिस की मौजूदा ताकत को बढ़ाने के लिए सीएपीएफ की 180 अतिरिक्त कंपनियां लाई गई हैं। पूरे मार्ग को सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षित कर लिया गया है।

पहलगाम मार्ग का उपयोग करने वाले लोग चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी से होकर गुफा मंदिर तक पहुंचते हैं और 46 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करते हैं।

तीर्थयात्रियों को गुफा मंदिर तक पहुंचने में चार दिन लगते हैं। वहीं, छोटे बालटाल मार्ग का उपयोग करने वालों को गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है और यात्रा पूरी करने के बाद उसी दिन आधार शिविर लौटना पड़ता है। सुरक्षा कारणों से इस वर्ष यात्रियों के लिए कोई हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध नहीं है।

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई को शुरू हुई और 38 दिनों के बाद 9 अगस्त को समाप्त होगी, जो श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन का दिन है।

श्री अमरनाथ जी यात्रा भक्तों के लिए सबसे पवित्र धार्मिक तीर्थयात्राओं में से एक है, क्योंकि किंवदंती है कि भगवान शिव ने इस गुफा के अंदर माता पार्वती को शाश्वत जीवन और अमरता के रहस्य बताए थे।

सावन का तीसरा सोमवार: शिवालयों में भक्तों की कतार, ‘हर हर महादेव’ से गूंजा परिसर

नई दिल्ली, 28 जुलाई (आईएएनएस)। सावन महीने के तीसरे सोमवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी और ग्रेटर नोएडा के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। वाराणसी के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचे। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठा। मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।

भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने व्यापक व्यवस्था की, जिसमें प्रोटोकॉल स्पर्श दर्शन पर पूरी तरह रोक लगाई गई। बाबा विश्वनाथ इस दिन अर्धनारीश्वर स्वरूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। पुलिस और प्रशासन की कड़ी व्यवस्था के बीच भक्तों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ बाबा भोलेनाथ की आराधना की।

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया, "दक्षिण भारत में उत्तर भारत के 15 दिन बाद सावन की शुरुआत होती है। इस वजह से और भी भीड़ जुटती है। सावन का तीसरा सोमवार कई मायनों में खास है। वहीं, भक्तों की सुविधा और सुरक्षा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए हैं। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस बल तैनात है और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है। लाइन में लगकर श्रद्धालु व्यवस्थित रूप से बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर रहे हैं। भक्तों में उत्साह चरम पर है, और वे बाबा के दर्शन के लिए घंटों इंतजार करने को तैयार हैं।

श्रद्धालु आरती ने बताया, “बाबा विश्वनाथ के दर्शन से मन को शांति मिलती है। यह अनुभव बेहद खास है।”

राजू यादव ने कहा, “हर साल सावन में बाबा के दर्शन के लिए आता हूं, मेरी हर मनोकामना पूरी होती है।”

ग्रेटर नोएडा के मुबारकपुर गांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भी सावन के तीसरे सोमवार को भक्तों का तांता लगा रहा। सुबह से ही श्रद्धालु पूजा-पाठ और जलाभिषेक के लिए पहुंचे। श्रद्धालु संजय ने बताया, “यह मंदिर बहुत प्राचीन है, और यहां बाबा से जो मांगा जाता है, वह पूरा होता है।”

धर्मेंद्र राय ने कहा, “सावन का तीसरा सोमवार विघ्न-बाधाएं दूर करने वाला है।”

प्रतिदिन मंदिर पहुंचने वाली श्रद्धालु शारदा देवी ने कहा, “रोज बाबा के दरबार में आते हैं, लेकिन सावन का यह दिन बेहद खास है।”

महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में 28 जुलाई को श्रावण का पहला सोमवार है, इसीलिए सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। बारह ज्योतिर्लिंगों की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम ज्योतिर्लिंग माने जाने वाले वेरुल स्थित 'घृष्णेश्वर' मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटी।

उत्तर भारत में 15 दिन पहले ही श्रावण की शुरुआत हो जाती है, लेकिन महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में 15 दिन बाद श्रावण शुरू होता है।

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